पापा से मिला जीवन का सबसे सुंदर पाठ : डॉ. शिखा नरूला
- June 14, 2025
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-जीवन के कठिन क्षणों में भी मानसिक संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखने की प्रेरणा अपने पिता से मिली -“मेरे पापा बेहद शांत और सरल स्वभाव के इंसान हैं”
-जीवन के कठिन क्षणों में भी मानसिक संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखने की प्रेरणा अपने पिता से मिली -“मेरे पापा बेहद शांत और सरल स्वभाव के इंसान हैं”
-जीवन के कठिन क्षणों में भी मानसिक संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखने की प्रेरणा अपने पिता से मिली
-“मेरे पापा बेहद शांत और सरल स्वभाव के इंसान हैं”
Jagrat Times, Kanpur/ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का गौरव बढ़ा चुकीं इवेंट डायरेक्टर, लेखिका और समाजसुधारक डॉ. शिखा नरूला ने फादर्स डे के अवसर पर अपने पिता को समर्पित एक भावनात्मक विचार साझा किया — एक ऐसा संबंध जो शब्दों से नहीं, बल्कि संस्कारों और व्यवहार से बना है।
“मेरे पापा बेहद शांत और सरल स्वभाव के इंसान हैं। उनका हर किसी के प्रति सकारात्मक सोच मेरे लिए प्रेरणा रही है। उनके स्वभाव से मैंने जीवन में शांति और संतुलन को अपनाया,” डॉ. नरूला ने भावपूर्वक कहा।
डॉ. नरूला मानती हैं कि उनके पिता का मौन नैतिक समर्थन, और जीवन की हर परिस्थिति को शांत चित्त से संभालने की कला, उनके व्यक्तित्व का एक मजबूत आधार बनी। आज जब वह महिला सशक्तिकरण, बाल विकास और इंडो-नेपाल सांस्कृतिक सहयोग जैसे विषयों पर देश-विदेश में कार्य कर रही हैं, वह स्पष्ट रूप से कहती हैं कि जीवन के कठिन क्षणों में भी मानसिक संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखने की प्रेरणा उन्हें अपने पिता से मिली।
जहां ज़्यादातर लोग साथ खड़े होने को समर्थन मानते हैं, वहीं डॉ. नरूला मानती हैं कि उनके पापा का मौन नैतिक समर्थन और जीवन में शांति बनाए रखने की कला उनके व्यक्तित्व की नींव बना। “मेरे पापा बहुत शांत और सरल स्वभाव के इंसान हैं। वो कभी किसी की बुराई नहीं करते और यही बात मैंने उनसे सीखी — बिना बोले भी बहुत कुछ सिखा जाना,” डॉ. नरूला ने कहा। “हर समय वे मेरे साथ नहीं थे, लेकिन उनका आशीर्वाद और शांति से भरा स्वभाव हमेशा मेरी सोच का हिस्सा बना रहा। कई बार मौन भी वह ताक़त बन जाता है, जो हमें आगे बढ़ने की दिशा देता है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।
इस फादर्स डे पर डॉ. शिखा नरूला ने उन सभी पिताओं को सम्मान दिया, जो अपने बच्चों के जीवन में मूल्य, शांति और आत्मबल का दीप जलाते हैं — निस्वार्थ भाव से, अपने कर्म और स्वभाव के माध्यम से।