शिवराम को दोबारा मिली दक्षिण की कमान, अनिल दीक्षित बने उत्तर जिलाध्यक्ष
- March 16, 2025
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-दीपू पांडेय की पद से छुट्टी-नाम का एलान होते ही भावुक हुए शिवराम-घोषणा होते ही पदाधिकारियों ने दी बधाई-विरोध के डर से वाट्स पर आई सूची Jagrat Times,
-दीपू पांडेय की पद से छुट्टी
-नाम का एलान होते ही भावुक हुए शिवराम
-घोषणा होते ही पदाधिकारियों ने दी बधाई
-विरोध के डर से वाट्स पर आई सूची
Jagrat Times, कानपुर। प्रदेश की राजधानी के भाजपा कार्यालय से शाम तीन बजे के बाद 72 जिलों के नये जिलाध्यक्षों की सूची पीडीएफ वाट्स पर भेजकर एलान कर दिया। 26 जिलों में विरोध व गुजबाजी के कारण जिलाध्यक्षों की सूची जारी नहीं हो सकी। माहौल को देखते ही अंतिम चरण में चयन प्रक्रिया रोक दी गयी है। प्रदेश कार्यालय से जारी नयी सूची में दक्षिण के जिलाध्यक्ष रहे शिवराम सिंह को दोबारा कार्य करने के लिए संगठन ने चयनित किया है। जबकि, उत्तर के जिलाध्यक्ष दीपू पांडेय को हटा दिया है। यहां से अनिल दीक्षित को चयनित किया है। ग्रामीण जिलाध्यक्ष की छुट्टी करते हुए नया दायित्व अब उपेन्द्र नाथ पासवान को मिला है।
नाम का एलान होते ही भावुक हुए शिवराम
प्रदेश कार्यालय से दोहपर तीन बजे के बाद सभी नये जिलाध्यक्षों की सूची वाट्स पर जारी की गयी। सूची में कानपुर दक्षिण जिलाध्यक्ष शिवराम सिंह का नाम दोबारा आते ही वे भावुक हो गये। बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा कि संगठन ने जिस विश्वास से उन्हें दोबारा दायित्व सौंपा हैं उस पर वे खरा उतरकर संगठन को मजबूती प्रदान करने का काम करेंगे।
अनिल दीक्षित बने उत्तर जिलाध्यक्ष
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि दक्षिण और उत्तर जिलाध्यक्ष के बदलाव की संभावना काफी कम है। दोनों नेता अपने-अपने क्षेत्र में ठीक काम कर रहे थे। लेकिन सूची से नाम गायब होने के बाद इस बात का जिक्र होने लगा की बदलाव का कारण सीसामउ उपचुनाव रहा है। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार को संगठन ने गंभीरता से लिया। फिलहाल नयी जिम्मेदारी भाजपा नेता अनिल दीक्षित को मिली है।
सूची आते ही कहीं खुशी कहीं गम
नये सूची का एलान होते ही दक्षिण के शिवराम सिंह की टीम और कार्यकर्ता खुशी से झूम उठे। वहीं, उत्तर में सन्नाटा छा गया। हालांकि अनिल दीक्षित के खेमें में खु शी की लहर दौड़ गयी। कार्यकर्ताओं ने चयनित जिलाध्यक्षों को बधाई दी।
सांसदी चुनाव में भी कमजोर पड़ा था उत्तर
सांसद चुनाव में उत्तर एरिया का कमजोर रहा था। काफी कम वोटिंग भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में होने के कारण संगठन ने इस पहलु को भी गंभीरता से लिया था। इतना हीं नहीं विधायिका की नाराजगी भी उत्तर में बदलाव का बना कारण बनी।