वसा ग्रन्थियों से स्राव के रुक जाने के कारण चेहरे पर निकलते हैं मुहासे : डॉ. मधुलिका शुक्ला
- March 3, 2025
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–लगभग 13 वर्ष से शुरू होकर 30 वर्ष तक कभी भी निकल सकते हैं City Desk, Kanpur / मुंहासे या पिटिका (Pimples or Acne) त्वचा की एक स्थिति
–लगभग 13 वर्ष से शुरू होकर 30 वर्ष तक कभी भी निकल सकते हैं
City Desk, Kanpur / मुंहासे या पिटिका (Pimples or Acne) त्वचा की एक स्थिति है जो सफेद, काले और जलने वाले लाल दाग के रूप में दिखते हैं। यह लगभग 13 वर्ष से शुरू होकर 30 वर्ष तक कभी भी निकल सकते हैं। ये निकलते समय तकलीफ दायक होते हैं व इसके बाद में भी इसके दाग-घब्बे चेहरे पर रह जाते हैं। मुंहासों के कई रूप होते है जैसे-पसदार मुंहासे, बिना पस कील के रूप में, काले खूटें के रूप में आदि। मुंहासों की शुरूआत भी अजीब होती है। पहले ये छोटे-छोटे दानों के रूप में चेहरे पर उभरते हैं। चेहरे में भी ललाट, गालों और नाक पर इनकी मात्रा ज्यादा होती है। यदि रोग की तीव्रता ज्यादा हो तो कंधे, पीठ और हाथ-पैरों पर हो सकते हैं। कुछ रोगियों में मुंहासे दाने के आकार से बड़े होकर पीवयुक्त गांठों के रूप में भी हो जाते हैं। इन मवादयुक्त गांठों में दर्द, जलन, सूजन और लालिमा पाई जाती है। कुछ मुंहासे काले सिर वाले होते हैं जिन्हें “कील” कहा जाता है। यदि इनको दबाया जाए, तो काले सिर के साथ-साथ भीतर से सफेद रोम जैसा पदार्थ बाहर निकलता है और इससे पैदा होने वाला छेद स्थाई हो जाता है। विशेष बातचीत में इस विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए कानपुर की मशहूर सीनियर होम्योपैथिक फिजिशियन डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने बताया कि होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करके मुहासों से पड़ने वाले दाग के निशान भी स्थायी रूप से ठीक हो जाते हैं। इसलिए, होम्योपैथी मुंहासों और फुंसियों को ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह एक बहुत ही आम इलाज है, विशेष रूप से मुँहासे के पुराने मामलों के लिए। आम तौर से मस्सों के उपचार के लिए होम्योपैथिक दवा थूजा“ उपयोग एक चलन सा बन गया है।लेकिन आपको बता दें कि ‘थूजा’ हर एक मस्सों की दवा नहीं है. जब थूजा के इस्तेमाल से मस्सों में आराम नहीं मिलता तब लोगों को चिकित्सक की सहाता से अन्य दवाओं के इस्तेमाल पर गौर करना चाहिए।
कॉमेडोनिका (Comedonica) – किशोरों को होने वाले मुंहासे में से एक प्रकार कॉमेडोनिका एक्ने है। इसे माइल्ड एक्ने यानी हल्के मुंहासे के नाम से भी जाना जाता है। इस श्रेणी में ब्लैकहेड्स व व्हाइटहेड्स आते हैं।
पुस्टुल्स एक्ने (Pustules Acne) – इसे मॉडरेट (मध्यम) मुंहासे कहा जाता है। इस मुंहासे की स्थिति में पिंपल हल्की सूजन दिखाई देती है और हल्का पस भी जम जाता है।
नोड्यूल्स एक्ने (Nodules Acne) – मुंहासे के इस प्रकार को काफी गंभीर माना जाता है। इस स्थिति में एक्ने में सूजन हो जाती है और उनमें पीले रंग का पस भर जाता है।
पिंपल/मुंहासे के लक्षण
व्हाइटहेड्स (बंद छिद्रित छिद्र)।
ब्लैकहेड (खुली छिद्रित छिद्र)।
छोटे लाल, टेंडर बम्प।
मुंहासों का कारण होता है – वसा ग्रन्थियों (सिबेसियस ग्लैंड्स) से निकलने वाले स्राव का रुक जाना। यह स्राव त्वचा को स्निग्ध रखने के लिए रोम छिद्रों से निकलता रहता है। यदि यह रुक जाए तो फुंसी के रूप में त्वचा के नीचे इकट्ठा हो जाता है और कठोर हो जाने पर मुंहासा बन जाता है। इसे ‘एक्ने वल्गेरिस’ कहते हैं। इसमें पस पड़ जाए तो इसे कील यानी पिम्पल कहते हैं। पस निकल जाने पर ही यह ठीक होते हैं। इसके अलावा क्रीम, लोशन, एक्सपायरी क्रीम का अधिक उपयोग करने से मुंहासे आ जाते हैं। व्यक्ति का नींद पूरा ना होने के कारण मुंहासे निकल जाते हैं। पाचन तंत्र में परेशानी होने के कारण भी चेहरे पर मुंहासे आ जाते हैं। हार्मोन में बदलाव होने के कारण लड़को और लड़कियों को मुंहासे आ जाते हैं।व्यक्ति के त्वचा पर पहले से मुंहासे है, तो तनाव होने के कारण मुंहासे और बढ़ जाते हैं।