सौभाग्यवती
- April 24, 2025
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Jagrat Times, Kanpur/ ढूंढ रही हूं मैं उसको जो मेरी एक सहेली थी ढूंढ रही हूं मैं उसको जो मेरी एक सहेली थीकुछ अल्हड़ ही, कुछ नटखट सीनवजीवन
Jagrat Times, Kanpur/ ढूंढ रही हूं मैं उसको जो मेरी एक सहेली थी
ढूंढ रही हूं मैं उसको जो मेरी एक सहेली थी
कुछ अल्हड़ ही, कुछ नटखट सी
नवजीवन से संचित पोषित
यौवन-मद में अलसाई सी
आंखों में जीवन की रौनक
आशाओं की फुलवारी सी
कोयल की कूं कूं सी मोहक
कंचन-सा तन सुंदर चितवन
स्मित कर दे उसकी अभिमंत्रित
हां ढूंढ रही हूं मैं उसको जो मेरी एक सहेली थी
लोहित रंगों के वस्त्रों में
उर्वशी को उत्तरहीन करें
मस्तक पर सिंदूरी सूरज
अंबर को सम्मोहित कर दे
श्याम मंगला शिरोधारा में
हाथों में चूड़ी खन-खन
गर्वित भी कुछ- कुछ लगी मुझे
इठलाती पायल की छन-छन
हां ढूंढ रही हूं मैं उसको जो मेरी एक सहेली थी
अब दिखती है वह शोकाकुल
खोई हो मरुस्थल में जैसे
औसान नहीं पर अचेत नहीं
आंखों में भी कोई रोष नहीं
ना चूड़ी है ना बिछिया है
पायल की भी झंकार नहीं
शववस्त्र रंग के वसनों में
लिपटी बैठी गर्वित होकर
हां ढूंढ रही हूं मैं उसको जो मेरी एक सहेली थी
अपने वल्लभ की मृत्यु से
वो घायल है अंतर्मन तक
टूटे सपनों के धागे हैं
देश प्रेम के मधुर पथ पर
फिर अपने पुत्रों के मस्तक पर
धूल लगाकर धरती की
प्रण लेती तू भी कर जाना
अपनी भूमि पर वीरगति
उसकी गर्वित मुस्कानों में
मैं ढूंढ रही हूं उसको ही
हां ढूंढ रही हूं मैं उसको जो मेरी एक सहेली थी
-मोनिला शर्मा