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ग्रहों का गीत – एक ज्योतिषीय काव्य

  • April 18, 2025
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Jagrat Times, Kanpur / ग्रहों का गीत – एक ज्योतिषीय काव्य Pt chandra kant shukla Astrologer and advocate सूर्य की छवि से चमका संसार,आत्मा का प्रतिनिधि, ज्योति अपार।रवि

ग्रहों का गीत – एक ज्योतिषीय काव्य

Jagrat Times, Kanpur / ग्रहों का गीत – एक ज्योतिषीय काव्य

Pt chandra kant shukla
Astrologer and advocate

सूर्य की छवि से चमका संसार,
आत्मा का प्रतिनिधि, ज्योति अपार।
रवि जब हो उच्च राशि में,
देता प्रगति, शक्ति हर काशी में।

चन्द्रमा शांत, मन का साथी,
कृपा करे तो हो सब सारथी।
वृद्धि, कल्पना, स्वप्न सजाए,
मूढ़ हो तो व्यथाएं लाए।

मंगल वीर, योद्धा जैसा,
उत्साह लाए, पर कभी उद्वेग जैसा।
रक्त में गर्मी, राग में रंज,
क्रोध में बने, जीवन का पंज।

बुध विद्या का दीपक है,
युक्ति, चतुराई का विश्वासक है।
वाणी में मधुरता, लेखनी में बल,
कभी हो नीच, तो भ्रम का हल।

गुरु देवता, ज्ञान का सागर,
धन, धर्म, और करुणा के आकार।
उच्च स्थिति हो तो बने दयालु,
नीच हो तो हो जाएं चालु।

शुक्र सौंदर्य का रक्षक है,
प्रेम, कला, सुख का अक्ष है।
रोग-व्याधि हो तो दे उपाय,
पर विलास में भटका ले जाय।

शनि न्याय के दाता हैं,
कर्म के फल का पात्र बनाता है।
धीरे चल कर सिखाए सबक,
साधक बनाए या दे कसक।

राहु छल का चालक है,
मृग-तृष्णा जैसा आलोक है।
विदेश, माया, विघ्न का सार,
ध्यान से करो इसका उपचार।

केतु ज्ञान का अग्नि रूप है,
मोक्ष की राह का एक अनुरूप है।
त्याग और तपस्या का पाठ पढ़ाए,
रहते हुए भी सब कुछ छुपाए।



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