बसन्त का त्योहार होलीरंगों का त्योहार होली
- March 12, 2025
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Jagrat Times, kanpur/ प्रेम का त्योहार होली होली सिर्फ रंगों का त्योहार नही बल्कि प्रेम के रंगों से भरा त्योहार है । यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की
Jagrat Times, kanpur/ प्रेम का त्योहार होली
होली सिर्फ रंगों का त्योहार नही बल्कि प्रेम के रंगों से भरा त्योहार है । यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत है । यह एक ऐसा त्योहार है जिसमे हमे नफरत, द्वेष व ईर्ष्या से दूर होकर एक दूसरे को रंग लगाकर अपने प्रेम की प्रस्तुति देनी चाहिए । फिर भी हमारे समाज मे कुछ अराजक तत्व मौजूद होते है जो रंग में भंग अवश्य डालते है अतः समाज के प्रत्येक वर्ग से मैं यही कहना चाहूंगी इस रंग भरे प्रेम के त्योहार को प्रेम और सौहार्द से मनाए।
आरती कुमारी (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
जुहारी देवी गर्ल्स पी जी कालेज कानपुर
कुछ वर्षों पहले जब हमारे बड़े- बुजुर्ग
होली खेलने निकलते थे तो उनके मन मे स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना निहित होती थी और बिना किसी स्पर्श के इस प्रेम के रंग को अपने सम्बन्धियों के प्रति दर्शाते थे। परंतु आज स्थितियां इसके विल्कुल विपरीत होती जा रही है। इस रंग के त्योहार में हमे कही न कही अश्लीलता की झलक भी दिखाईं देती है जो प्रेम और आपसी भाईचारे के तालमेल को बिगाड़ देती है जिससे इन सबसे हमे बचना चाहिए।
जैसे- कुछ वर्षों पीछे जाकर हम समाज मे होली के हिंदी ,भोजपुरी गीतों में देखते है तो हिंदी के गाने और फ़ाग जैसे लोकगीतों में प्रेम झलकता था। परंतु आज होली पर अश्लील व फूहड़ गाने ही सुनने को मिलते है । हम अपनी प्राचीन संस्कृति को धीरे- धीरे खोते हुवे नज़र आ रहे है । अब की युवा पीढ़ी होली की इस संस्कृति को बड़ी तेजी से छोड़ता हुआ आगे बढ़ता जा रहा है। इस समाज को पुरानी संस्कृति को देखकर आगे बढ़ना चाहिए और आपसी प्रेम और सौहार्द को बनाकर रखना चाहिए।
इस पवित्र होली को अपने पवित्रता के रंग से रंग देना चाहिए।
उपर्युक्त वक्तब्य पर विचार करते हुवे हमे इस पवित्र त्योहार को गुझियां, पापड़, मिठाई, के साथ मनाना चाहिए न कि मादक पदार्थों के साथ—
भंग से न रंग को बिगाड़ मेरे प्यारे
खुशी की उमंग होली
अपनो के संग होली
खुशी, प्रेम,प्रीत,और प्यार बाट मेरे प्यारे
गुझियां, मिठाई,पापड़, रोली संग होली
जीवन की सरसता टोली संग होली
धर्म, जाति और मजहब में न बाट मेरे प्यारे।
होली : रंगों का त्योहार ही नही बल्कि रंगों का उत्सव,भावनाओ का एक संगम है जो अपनी पवित्रता को प्रकृति के साथ नव कोपलों को लेकर आती है जिससे वसन्त ऋतु का उत्सव होता है । खेतो में खलिहानों में और पेड़ पौधों में अपने लाल,पीले, नीले, हरे,नारंगी बहुतायत में प्रकृति की गोद मे रंगों को विखेर देती है । हमारा पर्यावरण रंग-विरंग के फूलों से सुशोभित होने लगती है। पेड़ो की टहनियों और शाखाओं में नए-नए रंग खिल उठते है । शाखाओं पर शाखामृग दौड़ने लगते है,पक्षियों में कलरव होने लगता है और राहगीर मन से हर्षित होने लगता है। मानो प्रकृति रूपी रंग सम्पूर्ण संसार को आपने रंग से भिगो- भिगो कर आनंदित होता है और अपनी सुगंध को चारों तरफ विखेर कर सभी जन का मन हर्षित कर लेता है। ऐसा ही यह पवित्र पावन पर्व होली का त्योहार अपने रंगों से सम्पूर्ण संसार मे सभी के जीवन मे रंग भरकर खुशहाल और समृद्ध बनाता है। इसी प्रकार मनुष्य को भी अपनी मनुष्यता का परिचय देते हुवे होली के पवित्र पर्व पर प्रेम और सद्भाव के साथ मन को हर्षित कर देनेवाली रंगों के साथ एक दूसरे से प्रेम और सौहार्द से रंग में रंगकर सभी के जीवन मे रंग भर देना चाहिए।