होम्योपैथी दवा से एक्जिमा जड़ से खत्म हो जाती है : डॉ. मधुलिका शुक्ला
- March 6, 2025
- 0
–नियमित दवा, परहेज और चिकित्सीय सलाह का पालन करना अनिवार्य -शरीर में विटामिन ए की कमी होने पर एक्जिमा की बीमारी होने का खतरा City desk, कानपुर :
–नियमित दवा, परहेज और चिकित्सीय सलाह का पालन करना अनिवार्य
-शरीर में विटामिन ए की कमी होने पर एक्जिमा की बीमारी होने का खतरा
City desk, कानपुर : हम सभी को स्वास्थ के प्रति बहुत ही सचेत रहने की जरूरत हैं नहीं तो किसी न किसी बीमारी के ग्रसित होने का खतरा हमेशा बना रहता है। इस समय हर कोई अपने काम में इतना मसगूल रहता है कि वो अपने शरीर और स्वास्थ संबंधित महत्वपूर्ण बातों पर कभी ध्यान ही नहीं दे पाते हैं इसलिए अक्सर किसी न किसी बीमारी का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक बीमारी है-एक्जिमा (eczema)।
इस बीमारी के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कानपुर की मशहूर सीनियर होम्योपैथी फिजिशियन डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने बताया कि एक्जिमा एक बहुत ही आम त्वचा समस्या है। एक्जिमा का सबसे आम रूप एटोपिक डर्माटाइटिस कहलाता है। एटोपिक डर्माटाइटिस अक्सर बचपन में ही शुरू हो जाता है, जो लगभग 15 से 20% बच्चों को प्रभावित करता है। आमतौर पर बच्चे के बड़े होने पर यह ठीक हो जाता है और स्कूल जाने की उम्र या यौवन तक ठीक हो सकता है। शरीर में विटामिन ए की कमी होने पर एक्जिमा रोग होने का जोखिम काफी बढ़ जाता है। टेकअवे। स्टैफिलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस या अन्य बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण संक्रमित एक्जिमा का सिर्फ़ एक कारण है। अन्य में फंगल संक्रमण (खास तौर पर कैंडिडा से) और वायरल संक्रमण शामिल हैं । एक्जिमा अपने आप में संक्रामक नहीं है, और ज़्यादातर संक्रमित मामले आमतौर पर संक्रामक भी नहीं होते। विटामिन ए त्वचा की समस्याओं के कारण होने वाली सूजन को कम करने में भी मदद करता है। आपको बता दें कि एक्जिमा रोग होने पर विटामिन ए लेना फायदेमंद हो सकता है। इससे एक्जिमा के लक्षणों में कमी देखने को मिल सकती है। सब्ज़ियां और फल जिनमें सूजन से लड़ने वाले फ्लेवोनोइड्स की मात्रा अधिक होती है: सेब, ब्रोकली, चेरी, ब्लूबेरी, पालक और केल। फ्लेवोनोइड्स व्यक्ति की त्वचा के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और सूजन (जो एक्जिमा से जुड़ी होती है) जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद करते पाए गए हैं। शिशुओं मेंक्जिमा आमतौर पर चेहरे, सिर, हाथ और पैरों को प्रभावित करता है। बड़े बच्चों में एक्जिमा केवल कोहनी के अंदरूनी भाग और घुटनों के पीछे वाले भाग को प्रभावित कर सकता है। गंभीर एक्जिमा से पीड़ित कुछ बच्चों का पूरा शरीर प्रभावित हो सकता है।
एक्जिमा में बहुत खुजली होती है। एक बार इलाज हो जाने के बाद, चकत्ते ठीक होने में कई हफ़्ते लग सकते हैं। बच्चों में एक्जिमा की शुरुआत ज़्यादा आम है, लेकिन वयस्कों में होने वाले एक्जिमा के लक्षण ज़्यादा गंभीर होते हैं। इस बात की भी अच्छी संभावना है कि बचपन में होने वाला एक्जिमा उम्र के साथ ठीक हो जाए।
डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने कहा कि इस बीमारी से कतई घबराने की जरूरत नहीं है। होम्योपैथिक दवा से इस बीमारी को आसानी से जड़ से खत्म किया जा सकता है। पर दवा लेने में किसी भी प्रकार गैप यानी बीच में दवा नहीं रोकनी चाहिए। दवा हमेशा समय पर निर्धारित मात्रा में ही खानी चाहिए। इसके अलावा चिकित्सक के द्वारा दी जाने वाली महत्वपूर्ण सलाह और परहेज का पूर्णत: पालन करना चाहिए उसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बीमारी को और बढ़ा सकती है। एक्जिमा के कारण: आनुवंशिकी: अगर आपको या आपके किसी रिश्तेदार को अस्थमा या हे फीवर है, तो आपको एक्जिमा होने की संभावना ज़्यादा है।पर्यावरणीय कारक: जलन, एलर्जी, संक्रमण, और तनाव के संपर्क में आना।प्रतिरक्षा प्रणाली की अतिसक्रियता: शोधकर्ताओं का मानना है कि एक्जिमा इसी वजह से होता है। त्वचा से जुड़ी समस्याएं: त्वचा बहुत शुष्क, फटी, या सूजी हुई हो, तो संक्रमण हो सकता है। एक्जिमा के लक्षण: त्वचा सूखी और खुजलीदार होना, खुजलाने पर साफ़ तरल पदार्थ निकलना, त्वचा पर सूजन और ड्राइनेस होना। एक्जिमा को ट्रिग करने वाले कारक: तनाव,तापमान या नमी में बदलाव,त्वचा पर बैक्टीरिया का संक्रमण,डस्ट माइट, फफूंद, और रूसी। कुछ तरह का मेकअप-ऊन जैसे कपड़े,खाने-पीने की चीज़ों से एलर्जी आदि।