पुलिस और जनता के बीच सामंजस्य बैठाने में मीडिया की भूमिका अहम : आरती सिंह तंवर
- February 26, 2025
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–किसी एक की गलती से पुलिस विभाग पर प्रश्न चिह्न उठाना उचित नहीं –दोष साबित हुए बिना खबर से करियर ही नहीं परिवार भी टूट जाते हैं–कोविड काल
–किसी एक की गलती से पुलिस विभाग पर प्रश्न चिह्न उठाना उचित नहीं
–दोष साबित हुए बिना खबर से करियर ही नहीं परिवार भी टूट जाते हैं
–कोविड काल में मीडिया की बदौलत ही पुलिस का मानवीय चेहरा जनता ने देखा
–सभी के सहयोग से ही आदर्श समाज के निर्माण की होती है पूरी संभावना
अच्छे जीवन के लिए नौकरी करना आम बात है। पर कुछ नौकरियां ऐसी भी हैं जिनको करने वाला न सिर्फ़ खुद को बहुत ही गौरवान्वित अपितु जीवन को सार्थक महसूस करता है। ऐसी ही नौकरियों में से एक है पुलिस की नौकरी। पुलिस की नौकरी करना सबके बस की बात नहीं है। इस नौकरी में घर की जरूरतों के स्थान पर कर्तव्य को प्राथमिकता में रखना पड़ता है। कहने का आशय यही है कि अपने किसी भी निजी महत्वपूर्ण काम को छोड़कर देश के प्रति अपने फर्ज को सभी परिस्थितियों में निभाना ही पड़ता है। विकट परिस्थितियों के बावजूद एक पुलिस अधिकारी खुद को बहुत ही गौरवान्वित महसूस करता है। यह कहना है जयपुर, राजस्थान में पुलिस सब इंस्पेक्टर आरती सिंह तंवर का। घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही पिछले दस वर्षों से विभाग में अपनी दमदार छवि के लिए प्रतिष्ठित आरती सिंह तंवर ने विशेष बातचीत में बताया कि ऐसा नहीं है कि विभाग में काम करने वाले सभी पुलिस वाले गलती करते हैं या फिर सभी गड़बड़ी करते हैं। किसी एक की गलती को आधार बनाकर पूरे विभाग पर प्रश्न चिह्न लगाना उचित नहीं होता है। चैनल, पोर्टल और समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाली पुलिस से संबंधित खबरों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक कोई दोषी साबित नहीं हो जाए तब तक उसके विरुद्ध नकारात्मक लिखना व प्रसारित करना उचित नहीं है। कभी-कभी खबरों में सनसनी पैदा करने के चक्कर में कुछ पत्रकार नकारात्मक तथ्यों को हाईलाइट कर अपने नंबर बढ़ाने का अथक प्रयास करते हैं। मैं किसी भी मीडिया हाउस या पत्रकार पर आरोप नहीं लगा रही हूं लेकिन कभी-कभी अखबारों में समाचार पढ़ने और चैनल देखने से ऐसा महसूस होता है कि सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में नहीं रखा गया है। किसी पर दोषारोपण करना बहुत आसान पर है पर एक गलत खबर से उसका करियर तो बर्बाद होगा ही, साथ ही उसके परिवार का जीवन भी बिखर सकता है। पुलिस हो या कोई भी विभाग का अधिकारी यदि उसने गड़बड़ किया है तो उसे जग जाहिर करना मीडिया का कर्तव्य है। लेकिन कोई पुलिस वाला यदि अच्छा काम करता है तो उसे भी प्रमुखता से अखबार में प्रकाशित और चैनल पर प्रसारित करना चाहिए। और ऐसा मीडिया ने किया भी है । जब भारत सहित पूरा विश्व कोविड के महाप्रकोप से ग्रसित था तो हमारे देश में राजस्थान सहित हर राज्य के पुलिसकर्मी ने अपने प्राणों की चिंता करने के बजाय जनता की चौबीस घंटे सेवा की थी। हमारी पुलिस के मानवीय चेहरे, व्यक्तित्व और अद्भुत निस्वार्थ व निडर सेवा भक्ति भाव को हाईलाइट करने में मीडिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मेरे विचार से मीडिया को इस तरह का उत्साहवर्धन करते रहना चाहिए ताकि सकारात्मक माहौल बना रहे जिससे आम आदमी अपनी दिक्कत या परेशानी को पुलिस से बताने में तनिक भी हिचकिचाए नहीं। सभी के योगदान और सामंजस्य से ही आदर्श समाज का निर्माण संभव है।