पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए। विवाह उपरांत पति-पत्नी की बढ़ती दूरियां समाप्त करने के उपाय
June 15, 2025
0
आध्यात्मिक गुरु पं. चन्द्रकांत शुक्ल Jagrat Times, kanpur/ भारतीय संस्कृति में विवाह केवल सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि एक गूढ़ आध्यात्मिक यज्ञ है। जहाँ पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक बनकर
आध्यात्मिक गुरु पं. चन्द्रकांत शुक्ल
Jagrat Times, kanpur/ भारतीय संस्कृति में विवाह केवल सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि एक गूढ़ आध्यात्मिक यज्ञ है। जहाँ पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक बनकर जीवन-रथ को चलाते हैं। परंतु आज के यांत्रिक जीवन में यह बंधन कमजोर होता जा रहा है। घर में प्रेम की जगह विवाद, विश्वास की जगह संदेह, और संवाद की जगह मौन ने ले ली है।
ऐसी स्थिति में केवल मनोवैज्ञानिक परामर्श ही नहीं, वैदिक अनुष्ठान, पूजन और मंत्रजप जैसे आध्यात्मिक उपाय अत्यंत प्रभावकारी सिद्ध होते हैं।
शास्त्रीय दृष्टिकोण:
मनुस्मृति कहती है:
“पति धर्मपत्नी का देवता होता है और पत्नी उसके धर्मपथ की सहयोगिनी।”
📖 पार्वती शिव संवाद में देवी कहती हैं:
“यदि पत्नी पति की सेवा भावना से करती है, तो वह स्वयं लक्ष्मी के समान फल प्राप्त करती है।”
🪔 पति-पत्नी में प्रेम, सामंजस्य और सौहार्द हेतु ब्राह्मणों से कराए जाने योग्य वैदिक अनुष्ठान और मंत्र:
🔆 उमा-महेश्वर विवाह-संमेलन पूजा
यह पूजा शिव-पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है।
विवाह में बढ़ती कटुता को प्रेम में परिवर्तित करती है।
🔸 संपुटित मंत्र जप: 11,000 बार (ब्राह्मण मंडली से)
🔸 फल: वैवाहिक मतभेद, अहंकार, संवादहीनता, अलगाव की संभावना समाप्त होती है।
🔥 गौरीशंकर रुद्रयज्ञ
यह यज्ञ पति-पत्नी के बीच आत्मिक बंधन को सुदृढ़ करता है।
अनुष्ठान विधि:
11 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा
एक दिन अथवा सात शुक्रवार तक
मुख्य ऋचाएं:
रुद्राध्याय (श्री रुद्रम, चामकम्)
मंगल कामना सूक्त, गौरी स्तव, शिव विवाह स्तोत्र
कौटुम्बिक सुख हेतु नवग्रह शांति हवन
जब पति-पत्नी की जन्मकुंडली में राहु-केतु, शनि, चंद्र या शुक्र के अशुभ प्रभाव हों, तो यह हवन अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
मुख्य बीज मंत्र:
ॐ रां राहवे नमः। ॐ शनैश्चराय नमः। ॐ शुक्राय नमः।
संपुट: “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कामदेवाय नमः” के साथ फल: दाम्पत्य जीवन में प्रेम की पुनर्स्थापना, अपवादों का क्षय।
🕊️ क्लीं बीज मंत्र जप अनुष्ठान
“क्लीं” बीज मंत्र प्रेम और आकर्षण का शक्ति-बीज है।
यदि किसी एक में आकर्षण या अनुराग की कमी है, तो यह मंत्र उसे पुनः जाग्रत करता है।
मंत्र:
ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय नमः।
विधि: 21 दिन तक ब्राह्मण द्वारा या साधक स्वयं, प्रतिदिन 108 बार जाप।
दाम्पत्य समर्पण साधना (गृहस्थों के लिए उपयुक्त पूजा क्रम)
सप्त दिवसीय घरेलू क्रम:
दिन पूजन मंत्र
सोमवार शिव-पार्वती पूजन “ॐ नमः शिवाय।” मंगलवार हनुमान जी “ॐ हं हनुमते नमः।” बुधवार श्री गणेश “ॐ गं गणपतये नमः।” गुरुवार विष्णु-लक्ष्मी “ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः।” शुक्रवार राधा-कृष्ण “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः।” शनिवार नवग्रह शांति नवग्रह मंत्र रविवार सूर्य अर्घ्य “ॐ आदित्याय नमः।”
निष्कर्ष:
विवाह केवल साथ जीने का अनुबंध नहीं, साथ बदलने का व्रत होता है। जब पति-पत्नी दोनों अपने-अपने अहम को त्यागकर, प्रेम और क्षमा के पथ पर चलें, और साथ ही वैदिक पूजन और मंत्र-साधना को जीवन में अपनाएं, तो जीवन में फिर से गृहस्थ धर्म की दिव्यता लौट आती है।
विवाह कोई समस्या नहीं, बल्कि उसका समाधान आध्यात्मिक समझ और यज्ञीय भावना में छिपा है।