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पीएम मोदी की कार्यशैली में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की प्रेरणा

  • May 31, 2025
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-धर्म, सेवा और राष्ट्निर्माण का दिखता है समन्वय-देश की दिव्य विभूतियों से मिली समाज को दिशा-सबका साथ सबका विकास पर आधरित है पीएम का शासन लेखक: अजय कुमार

पीएम मोदी की कार्यशैली में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की प्रेरणा

-धर्म, सेवा और राष्ट्निर्माण का दिखता है समन्वय
-देश की दिव्य विभूतियों से मिली समाज को दिशा
-सबका साथ सबका विकास पर आधरित है पीएम का शासन

लेखक: अजय कुमार द्विवेदी/ भारतवर्ष की इतिहास गाथा उन दिव्य विभूतियों से सुशोभित है, जिन्होंने अपने त्याग, तपस्या, न्यायप्रियता और लोकसेवा से न केवल समाज को दिशा दी, बल्कि काल की सीमाओं को पार करते हुए युगों तक प्रेरणा का स्रोत बनी रहीं। ऐसी ही एक विलक्षण विभूति थीं लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर, जिनका जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित धर्म, सेवा, न्याय और जनकल्याण का जीवंत आदर्श रहा। आज जब हम 21वीं सदी के भारत में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को देखते हैं, तो उनकी कार्यशैली में बार-बार अहिल्याबाई होल्कर की उस प्राचीन परंपरा की झलक दिखाई देती है — जहाँ सत्ता नहीं, सेवा प्राथमिक उद्देश्य होता है; जहाँ विकास का मार्ग संस्कृति से होकर गुजरता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्पूर्ण शासनदर्शन “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के सिद्धांत पर आधारित है। उनकी सोच और योजनाओं में देश के अंतिम पंक्ति के नागरिक की चिंता दिखाई देती है — ठीक उसी तरह जैसे अहिल्याबाई ने अपने राज्य में हर वर्ग, हर जाति, हर स्त्री-पुरुष को न्याय और गरिमा का जीवन प्रदान किया। मोदी जी की जनधन योजना ने करोड़ों गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा, उज्ज्वला योजना ने रसोई में गैस चूल्हा पहुँचा कर महिलाओं को सम्मानित जीवन दिया, आयुष्मान भारत योजना ने करोड़ों को स्वास्थ्य सुरक्षा दी, तो स्वच्छ भारत मिशन ने हर गली-मोहल्ले को स्वच्छता की नई चेतना से जोड़ा। ये सभी योजनाएं केवल सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण के वाहक हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली में एक विशेष बात है — संस्कृति और अध्यात्म के साथ उनका गहरा जुड़ाव। जिस भक्ति और श्रद्धा से अहिल्याबाई ने भारत के तीर्थों — काशी, रामेश्वरम, सोमनाथ, गया, द्वारका आदि — का पुनर्निर्माण कर उन्हें भव्यता प्रदान की, उसी परंपरा को प्रधानमंत्री मोदी ने आधुनिक भारत में पुनर्जीवित किया है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, केदारनाथ धाम का पुनर्विकास, महाकाल लोक का सृजन और अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण — यह सब न केवल स्थापत्य की दृष्टि से अद्वितीय हैं, बल्कि भारत की आत्मा को गौरव के साथ स्थापित करने का ऐतिहासिक कार्य है।

मोदी जी के नेतृत्व की खूबी यह है कि वह निर्णय लेने में दृढ़, परंतु जनता के प्रति संवेदनशील हैं। उनकी कार्यशैली में आधुनिक प्रबंधन और प्राचीन भारतीय मूल्यों का अद्भुत समन्वय दिखता है। जिस प्रकार अहिल्याबाई स्वयं जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनती थीं, उसी तरह मोदी जी भी तकनीक और संवाद के माध्यमों से देशवासियों से निरंतर संपर्क में रहते हैं। ‘मन की बात’ जैसे कार्यक्रमों ने जनसुनवाई और जनसंवाद की एक नई परंपरा को जन्म दिया है। उनके शासन में योजनाएं केवल फाइलों में सीमित नहीं रहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर सशक्त परिणामों के रूप में प्रकट हुईं।

नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में मोदी सरकार के प्रयास विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’, महिलाओं के लिए स्व-रोजगार योजनाएं, मातृत्व लाभ विस्तार और सैन्य बलों में महिलाओं की भागीदारी जैसे कदम स्पष्ट करते हैं कि नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण नारी को केवल संरक्षित नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर और नेतृत्वकारी बनाने का है — और यही तो थी अहिल्याबाई की सोच, जिन्होंने अपने समय में स्त्रियों को सामाजिक गरिमा और अधिकार प्रदान किए थे।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत एक आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से सशक्त राष्ट्र बनने की दिशा में निरंतर अग्रसर है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ जैसे कार्यक्रमों ने भारत की आंतरिक शक्ति को उभारा है। उनकी विदेश नीति भी भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंचों पर स्थापित करने का कार्य कर रही है। योग, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संस्कृत और गीता का उल्लेख, भारतीय परंपराओं का सम्मान — यह सब केवल कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है।

मोदी जी के निर्णयों में पारदर्शिता, जवाबदेही और सेवा की भावना स्पष्ट दिखाई देती है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़े कदम, डिजिटल ट्रैकिंग से योजनाओं की निगरानी, सरकारी खर्चों में कटौती, और जनसाधारण तक लाभ सीधा पहुँचाना — यह सब उनके शासन की कार्यकुशलता को दर्शाता है। उनकी कार्यशैली केवल सत्ता चलाने की नहीं, बल्कि राष्ट्र को गढ़ने की शैली है — जैसे अहिल्याबाई ने अपने राज्य को एक सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक आदर्श राज्य के रूप में स्थापित किया।

और अंततः, जब हम भारत के वर्तमान विकास मार्ग की ओर देखते हैं, तो यह केवल एक आर्थिक यात्रा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जागरण की प्रक्रिया है। नरेंद्र मोदी का नेतृत्व उस परंपरा का पुनरावर्तन है, जिसे अहिल्याबाई होल्कर जैसी विभूतियों ने अपने त्याग और तपस्या से सजीव किया था। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों में न केवल आधुनिकता की दृष्टि है, बल्कि भारत की सनातन चेतना की गूंज भी है। वे केवल नेता नहीं, बल्कि एक ऐसे युगदृष्टा हैं जो भारत को उसके स्वाभाविक गौरव की ओर ले जा रहे हैं।

इसलिए जब हम आज के भारत की यात्रा को समझते हैं, तो यह आवश्यक है कि हम उसके ऐतिहासिक संदर्भों को भी स्मरण करें। प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली, योजनाओं की व्यापकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की भावना हमें बार-बार अहिल्याबाई होल्कर की याद दिलाती है — एक ऐसी महान नारी, जिनके लिए शासन सेवा था, न्याय धर्म था, और जनकल्याण संकल्प। उनके मार्ग पर चलकर आज का भारत आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक चेतना और वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।

हम ऐसी महान विभूति अहिल्याबाई होल्कर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं, जिन्होंने हमें सिखाया कि सत्ता का सर्वोच्च स्वरूप सेवा होता है। उनके सिद्धांत और जीवन आज भी हमारे लिए प्रकाशस्तंभ हैं। अहिल्याबाई को कोटिशः नमन! और उन सभी नेतृत्वकर्ताओं को वंदन, जो भारत को उसकी सनातन आत्मा के साथ विश्वगुरु बनाने के संकल्प में जुटे हैं।

अजय कुमार द्विवेदी प्रदेश अध्यक्ष – सनातन मठ मंदिर रक्षा समिति, उत्तर प्रदेश

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