पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए! किन मंत्रों से शरीर में बढ़ता है तेज
- May 6, 2025
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Jagrat Times, Kanpur/ पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए! किन मंत्रों से शरीर में बढ़ता है तेज ओरा (तेज) क्या है? ओरा हमारे शरीर के चारों ओर फैली एक
Jagrat Times, Kanpur/ पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए! किन मंत्रों से शरीर में बढ़ता है तेज ओरा (तेज) क्या है? ओरा हमारे शरीर के चारों ओर फैली एक
Jagrat Times, Kanpur/ पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए! किन मंत्रों से शरीर में बढ़ता है तेज
ओरा (तेज) क्या है?
ओरा हमारे शरीर के चारों ओर फैली एक सूक्ष्म ऊर्जा परत होती है, जो हमारे विचार, भावना, स्वास्थ्य और आत्मिक स्थिति को दर्शाती है। जब ओरा शक्तिशाली होती है, तो नकारात्मक ऊर्जा हम तक नहीं पहुँचती और हमारा मन, शरीर और आत्मा संतुलित रहते हैं।
(1) 528 हर्ट्ज़ (Hz) की तरंग – “प्रेम और उपचार की तरंग”
यह तरंग शरीर के कोशिकीय स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।I
इसे डीएनए सुधार (DNA repair) की तरंग भी कहा जाता है।
यह प्रेम, करुणा और आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करती है।
(2) 432 हर्ट्ज़ (Hz) की तरंग – “प्राकृतिक ब्रह्मांडीय कंपन”
यह कंपन प्रकृति और हमारे मन के बीच संतुलन बनाती है।
इससे तनाव कम होता है और ध्यान की शक्ति बढ़ती है।
यह ओरा को स्वच्छ और प्रकाशमय बनाती है।
चन्द्र कान्त शुक्ल आध्यात्मिक गुरु
(3) बाइनौरल बीट्स (Binaural Beats)
यह तरंगें मस्तिष्क को शांत करके एकाग्रता और ध्यान की स्थिति में ले जाती हैं।
अल्फा और थीटा वेव्स ध्यान के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती हैं।
(1) गायत्री मंत्र – आत्मिक तेज के लिए अत्यंत प्रभावी
ॐ भूर्भुवः स्वः।
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अर्थ:
हे परमात्मा, जो सृष्टि के निर्माता हैं, जो पूजनीय हैं, जिनकी प्रकाशरूपी शक्ति पापों को नष्ट करती है — हम उस दिव्य तेज का ध्यान करते हैं, जो हमारी बुद्धि को सद्गति दे।
(2) महामृत्युंजय मंत्र – रक्षा और रोग नाशक
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
अर्थ:
हम उस त्रिनेत्रधारी शिव का पूजन करते हैं, जो जीवनदायक और सुगंधित है। जैसे खीरा बेल से अलग हो जाता है, वैसे ही हम मृत्यु के बंधन से मुक्त हों और अमरत्व को प्राप्त करें।
(3) ॐ नमः शिवाय – शांति और ऊर्जा का स्रोत
यह पंचाक्षरी मंत्र मन और शरीर की शुद्धि करता है।
इससे आत्मबल और ओरा दोनों में वृद्धि होती है।
प्रतिदिन प्रातःकाल या संध्या के समय 15 से 30 मिनट मंत्र जाप करें।
जाप के समय मन एकाग्र रखें और गहरी श्वास लें।
चाहें तो 528 हर्ट्ज़ या 432 हर्ट्ज़ की ध्वनि पृष्ठभूमि में सुन सकते हैं।
आप जाप के समय सुगंधित धूप या गुग्गुल जलाकर वातावरण को शुद्ध कर सकते हैं।
सप्ताह में एक दिन नमक मिले गुनगुने पानी से स्नान करें — यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाता है।
निष्कर्ष:
शरीर की ओरा को बढ़ाने के लिए गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र और 528/432 हर्ट्ज़ की ध्वनि तरंगें अत्यंत प्रभावशाली होती हैं। ये नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करती हैं, मन को शुद्ध करती हैं और आत्मा में तेज भरती हैं।