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पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए! अक्षय तृतीया का महत्व और किस देवता की करें पूजा

  • April 28, 2025
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Jagrat Times, Kanpur/ पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए! अक्षय तृतीया का महत्व और किस देवता की करें पूजा अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म का एक बहुत शुभ और पवित्र

पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए! अक्षय तृतीया का महत्व और किस देवता की करें पूजा

Jagrat Times, Kanpur/ पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए! अक्षय तृतीया का महत्व और किस देवता की करें पूजा

अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म का एक बहुत शुभ और पवित्र पर्व है।
“अक्षय” का अर्थ होता है — जिसका कभी क्षय (समाप्ति) न हो, यानी जो हमेशा बढ़ता रहे।
तृतीया का मतलब — तीसरा दिन।
यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है।

इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं — जैसे दान, पूजा, खरीदारी, जप-तप — उसका फल अक्षय (अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला) माना जाता है।

Pandit Chanderkant Shukla ( Asriloger And Spirtual Teacher)

अक्षय तृतीया के दिन क्या करना चाहिए?

  1. भगवान विष्णु की पूजा करें

विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करना अत्यंत शुभ होता है।

विष्णु जी को तुलसी पत्र, पीले पुष्प और चने की दाल चढ़ाएं।

माता लक्ष्मी के लिए कमल पुष्प और खीर का भोग लगाएं।

  1. कुबेर देवता की पूजा

धन के देवता कुबेर की भी इस दिन विशेष पूजा की जाती है।

धन और समृद्धि के लिए कुबेर को पुष्प, धूप और…
अक्षय तृतीया पूजा विधि

  1. स्नान और संकल्प:

प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें।

साफ वस्त्र धारण करें।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का संकल्प लें:

“मैं भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति हेतु पूजा-अर्चना करूँगा।”

  1. पूजा स्थान की तैयारी:

एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएँ।

उस पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

एक कलश (तांबे या चांदी का) जल भरकर रखें, उस पर आम के पत्ते और नारियल रखें।

  1. दीपक और धूप प्रज्वलित करें:

घी का दीपक जलाएँ।

धूप या अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।

  1. भगवान विष्णु और लक्ष्मी पूजन:

भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, पीले फूल, चने की दाल और मिष्ठान अर्पित करें।

माता लक्ष्मी को कमल पुष्प, खीर या मीठा भोग अर्पित करें।

  1. मंत्र जप करें:

भगवान विष्णु के लिए:

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” — 108 बार जप करें।

माता लक्ष्मी के लिए:

“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” — 108 बार जप करें।

कुबेर देव के लिए:

“ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः” — 108 बार जप करें।

  1. प्रसाद और आरती:

भगवान को भोग अर्पित करें।

विष्णु आरती और लक्ष्मी माता की आरती गाएँ।

परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर आरती करें।

  1. दान करें:

अक्षय तृतीया के दिन दान का विशेष महत्व है।

जल से भरे घड़े, चावल, वस्त्र, घी, फल, सोना-चांदी आदि का दान करें।

यदि संभव हो तो ब्राह्मण, गरीब, या जरूरतमंदों को भोजन कराएँ।

महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखें:

पूजा करते समय मन में शुद्धता और श्रद्धा रखें।

वाणी में मधुरता रखें और किसी से भी कटु शब्द न बोलें।

इस दिन झूठ बोलने और क्रोध करने से बचें।

अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त (2025 के लिए)

    तिथि प्रारंभ: 30 अप्रैल 2025 को प्रातः 04:17 बजे

    तिथि समाप्त: 01 मई 2025 को प्रातः 05:05 बजे

    अक्षय तृतीया पर कोई भी समय शुभ माना जाता है।
    इसे अबूझ मुहूर्त (अर्थात बिना पंचांग देखे भी शुभ) कहते हैं।
    फिर भी विशेष रूप से प्रातःकाल से दोपहर तक पूजा करना अधिक उत्तम है।

    विशेष पूजा का उत्तम समय:

    प्रातः 6:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे के बीच।

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