- योगी को मिली थी 12.88 लाख करोड़ की इकॉनमी, बना दिया 27.51 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था, इस करिश्मे से हैरत में है पूरा देश
- इस वित्तीय वर्ष में यूपी को 30 लाख करोड़ से अधिक की अर्थव्यवस्था बनाने के मिशन पर काम कर रही योगी सरकार
- सत्ता संभालने के बाद तीन साल तक सीएम योगी ने किया अथक प्रयास, तब जाकर बीते पांच साल से यूपी बना हुआ है देश का ग्रोथ इंजन
- योगी खुद बता चुके हैं पिछली सरकारों में कैसे होता था भ्रष्टाचार और कैसे कुछ लोग डालते थे जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका
- क्यों तब अपने ही कर्मचारियों को देने के लिए नहीं होते थे उत्तर प्रदेश सरकार के पास पैसे
Jagrat Times, लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आठ साल के कार्यकाल में आर्थिक क्षेत्र में जो करिश्मा कर दिखाया है, उसने पूरे देश को अचंभित कर दियाा है। 2017 में सत्ता संभालने के समय योगी को 12.88 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, जिसे उन्होंने बिना कोई नया टैक्स लगाए 27.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया। इस वित्तीय वर्ष में योगी सरकार 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक की अर्थव्यवस्था बनाने के महत्वाकांक्षी मिशन पर तेजी से काम कर रही है। मुख्यमंत्री योगी ने कई मौकों पर इस बात का खुलासा भी किया है कि पिछली सरकारों में कैसे भ्रष्टाचार और लूट का बोलबाला था, जिसके चलते जनता की गाढ़ी कमाई कुछ लोग डकैतों की तरह लूट लेते थे। उस दौर में उत्तर प्रदेश सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए पैसे नहीं होते थे। योगी सरकार के सुशासन और पारदर्शी प्रशासन ने न केवल इस स्थिति को बदला, बल्कि यूपी को आर्थिक समृद्धि की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है।
बीमारू प्रदेश नहीं रहा यूपी, बना देश का ग्रोथ इंजन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद अपने सतत प्रयासों से यूपी को बीमारू प्रदेश की पहचान से बाहर निकालने का सबसे अहम कार्य किया। आज उत्तर प्रदेश लगातार पांच साल से देश के ग्रोथ इंजन के रूप में पहचाना जा रहा है। यूपी बेशक आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से इसकी जीएसडीपी सन 1950 से लेकर 2017 तक केवल 12.75 लाख करोड़ ही पहुंच सकी। वहीं योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश ने सकल राज्य घरेलू उत्पाद में दोगुने से अधिक की छलांग लगाते हुए इसे 27.51 लाख करोड़ तक पहुंचा दिया है। सरकार का लक्ष्य वर्तमान वित्तीय वर्ष में इसे 30.77 लाख करोड़ तक पहुंचाने का है। जिस प्रदेश को कभी लोग उलटा प्रदेश कहकर चिढ़ाते थे, आज योगी आदित्यनाथ सरकार की मेहनत ने उसे देश की जीडीपी में 9.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत में दूसरे नंबर की आर्थिक ताकत बनाकर सबको चौंका दिया है। अहम बात ये है कि 2023-24 में भारत की जीडीपी में विकास दर 9.6 थी, जबकि इसी काल में उत्तर प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत तक पहुंच गई।
कभी सैलरी देने के नहीं थे पैसे, आज है रेवेन्यू सरप्लस स्टेट
याद कीजिए 2017 से पहले का वक्त जब उत्तर प्रदेश सरकार अपने अधिकांश राज्य कर्मचारियों को समय से वेतन दे पाने में भी असमर्थ थी। तमाम योजनाएं और विकास की परियोजनाएं बजट के अभाव में सालों साल लटकी रहती थीं। आज ये वही उत्तर प्रदेश है, जिसने बीते आठ साल में बिना जनता पर कोई नया टैक्स लगाए अपनी अर्थव्यवस्था को इतना मजबूत कर लिया है कि बीते पांच साल से यह रेवेन्यू सरप्लस स्टेट बन चुका है। इसके लिए टैक्स की चोरी पर लगाम लगाने से लेकर रेवेन्यू लीकेज को समाप्त किया गया। सरकार ने व्यापक स्तर पर डिजिटल मैकेनिज्म को अपनाया, जिससे ट्रांसपैरेंसी बढ़ी। यही नहीं उत्तर प्रदेश में डीजल और पेट्रोल की दरें देश में सबसे कम हैं, बावजूद इसके यूपी समृद्धि के नये सोपान पर चढ़ता जा रहा है।
डीबीटी ने रोका बिचौलियों का खेल, डिजिटल लेन-देन में बना अग्रणी राज्य
प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया के विजन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्राथमिकता के शीर्ष पर रखा। आज यूपी डिजिटल क्रांति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनकर उभरा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में एक हजार करोड़ से भी अधिक डिजिटल ट्रांजैक्शन हुए हैं। इनमें आधे से अधिक लेनदेन यूपीआई के जरिए हुए हैं। गांव-गांव तक इंटरनेट की आसान पहुंच, डिजिटल जागरूकता और इंटरनेट डिवाइस की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है।