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यूपी की आबोहवा को पॉल्यूशन फ्री बनाएंगे गिग वर्कर्स

  • April 24, 2025
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Jagrat Times, लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में न केवल औद्योगिक और आर्थिक विकास के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और

यूपी की आबोहवा को पॉल्यूशन फ्री बनाएंगे गिग वर्कर्स

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए मास्टर प्लान तैयार
  • दो लाख से अधिक दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 100 करोड़ रुपए सब्सिडी देने का सरकार का लक्ष्य
  • फ्लिपकार्ट, अमेज़न, स्विगी और ज़ोमैटो जैसी कंपनियों के गिग वर्कर्स पर सरकार का विशेष फोकस
  • गिग वर्कर्स बनेंगे स्वच्छ पर्यावरण के नए सिपाही
  • साबित होगा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम

Jagrat Times, लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में न केवल औद्योगिक और आर्थिक विकास के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ परिवहन के क्षेत्र में भी एक मिसाल कायम करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए योगी सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) को बढ़ावा देने की एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, जिसमें गिग वर्कर्स केंद्र बिंदु हैं। इस पहल के तहत सरकार ने एक व्यापक मास्टर प्लान तैयार किया है, जिसका लक्ष्य दो लाख से अधिक दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ₹100 करोड़ की सब्सिडी प्रदान करना है। विशेष रूप से फ्लिपकार्ट, अमेज़न, स्विगी और ज़ोमैटो जैसी कंपनियों के गिग वर्कर्स को इस योजना का प्रमुख हिस्सा बनाया गया है, ताकि प्रदेश की आबोहवा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके।

गिग वर्कर्स बनेंगे स्वच्छ पर्यावरण के नए सिपाही
गिग इकॉनमी, जिसमें ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में कार्यरत लाखों युवा शामिल हैं, उत्तर प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से विस्तार कर रही है। ये गिग वर्कर्स, जो रोजाना हजारों किलोमीटर की यात्रा करते हैं और पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों के माध्यम से अनजाने में वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं। योगी सरकार ने इस चुनौती को एक अवसर में बदलने का फैसला किया है। सरकार का मानना है कि यदि गिग वर्कर्स को इलेक्ट्रिक वाहनों से जोड़ा जाए, तो न केवल वायु प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण के लिए एक जन-आंदोलन का रूप ले सकता है।

सरकार ने उठाए हैं कई अहम रणनीतिक कदम
उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग एंड मोबिलिटी नीति 2022 के तहत, दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ₹100 करोड़ की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। यह सब्सिडी गिग वर्कर्स के लिए ईवी खरीद को किफायती बनाएगी, जिससे वे बिना वित्तीय बोझ के इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। इसके अलावा सरकार ने फ्लिपकार्ट, अमेज़न, डेल्हीवरी, स्विगी और ज़ोमैटो जैसी कंपनियों के साथ सहयोग की योजना बनाई है। इन कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे अपने डिलीवरी फ्लीट को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तित करें। इसके लिए विशेष छूट और तकनीकी सहायता भी प्रदान की जाएगी।

कुल ₹440 करोड़ की सब्सिडी का प्रावधान
सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति 2022 न केवल गिग वर्कर्स तक सीमित है, बल्कि यह सभी प्रकार के वाहनों को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर ले जाने का एक व्यापक प्रयास भी है। नीति के तहत कुल ₹440 करोड़ की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत 2.35 लाख लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य है। इसमें ₹100 करोड़ की सब्सिडी, जिससे दो लाख से अधिक गिग वर्कर्स और अन्य नागरिक लाभान्वित होंगे। ₹250 करोड़ की सब्सिडी, जो टैक्सी और निजी वाहन मालिकों को प्रोत्साहित करेगी। ₹10 करोड़ की सब्सिडी, जो लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को मदद पहुंचाएगी और ₹80 करोड़ की सब्सिडी, जो सार्वजनिक परिवहन को पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी।

साबित होगा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम
योगी सरकार की यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह गिग वर्कर्स के लिए आर्थिक लाभ भी लेकर आई है। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग न केवल ईंधन की लागत को कम करता है, बल्कि रखरखाव की लागत को भी काफी हद तक घटाता है। इससे गिग वर्कर्स की आय में वृद्धि होगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। साथ ही, चार्जिंग स्टेशनों और ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना से नए रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। योगी सरकार की इस पहल का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को भारत का पहला ऐसा राज्य बनाना है, जहां गिग इकॉनमी और पर्यावरण संरक्षण एक साथ मिलकर काम करें। सरकार का मानना है कि यदि गिग वर्कर्स जैसे छोटे-छोटे योगदानकर्ता इस क्रांति का हिस्सा बनते हैं, तो बड़े पैमाने पर बदलाव संभव है। इसके लिए सरकार न केवल नीतिगत समर्थन दे रही है, बल्कि निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों को भी इस अभियान में शामिल करने की दिशा में काम कर रही है।

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