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कुछ मिशनरी और वामपंथी कर रहे थे जनजातीय समाज का ब्रेनवॉश : योगी

  • April 21, 2025
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थारू, मुसहर, कोल, गोंड, समेत सभी जनजातियों को उपलब्ध कराई हर सुविधा 2017 से पहले जन जातियों को नहीं थे वोटिंग राइट, न राशन कार्ड और न कनेक्टिविटी

कुछ मिशनरी और वामपंथी कर रहे थे जनजातीय समाज का ब्रेनवॉश : योगी

थारू, मुसहर, कोल, गोंड, समेत सभी जनजातियों को उपलब्ध कराई हर सुविधा

2017 से पहले जन जातियों को नहीं थे वोटिंग राइट, न राशन कार्ड और न कनेक्टिविटी

श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा बनी भारत-नेपाल सीमा पर विश्वास का माध्यम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और सीएम ने किया दीप प्रज्ज्वलन

गोरक्ष-अवध प्रांत के कार्यकर्ताओं को सीएम ने किया सम्मानित, जताया आभार

Jagrat Times, लखनऊ : जन जातियों को 2017 से पहले मतदान के अधिकार नहीं थे। राशन कार्ड और कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं थी। भाजपा की सरकार आने के बाद से थारू, मुसहर, कोल, गोंड, समेत सभी जनजातियों को हर सुविधा उपलब्ध कराई गई। यही नहीं, इससे पहले कुछ मिशनरी और वामपंथी जनजातीय समाज का ब्रेनवॉश भी किया करते थे। ये बातें लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल गोमतीनगर विस्तार ऑडिटोरियम में रविवार को श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा 5.0 के कार्यकर्ता सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने कहा कि वनटांगिया के 55 गावों में कोई अधिकार नहीं थे। यह स्थिति देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन रही थी।
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के साथ सीएम योगी ने भगवान श्री धन्वंतरी, भारत माता, गुरु गोरखनाथ और स्वामी विवेकानंद के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

भारत की ऋषि परंपरा से जुड़ी यात्राएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में यात्राओं की एक लंबी श्रृंखला रही है। आदि शंकराचार्य ने भी शंकर दिग्विजय यात्रा के माध्यम से भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ा था। ऐसी धार्मिक यात्राएं केवल आस्था नहीं, बल्कि समाज को एकसूत्र में बांधने का माध्यम होती हैं। उन्होंने कहा, उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक भारत आदिकाल से एक सांस्कृतिक इकाई रहा है और धार्मिक यात्राओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सका। भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में भी ऐसी ही एकता को पुनः स्थापित करने का कार्य पांच साल पहले प्रारंभ हुआ।

2017 से पहले अधिकार विहीन थे जनजातीय समुदाय
सीएम योगी ने कहा, आपको आश्चर्य होगा कि 1947 में देश को आजादी मिली, लेकिन 2017 से पहले तक इन गांवों के लोगों को न वोटिंग का अधिकार था, न राशन कार्ड। न बिजली, न सड़क और न स्वास्थ्य की कोई सुविधा। वन विभाग और पुलिसकर्मी इनका शोषण करते थे। उन्होंने आगे बताया कि जब 2017 में बीजेपी की सरकार आई, तब जाकर इन गांवों को राजस्व ग्राम की मान्यता मिली और धीरे-धीरे सभी योजनाएं लागू की गईं।

ब्रिटिश शासन में हुआ था शोषण
सीएम योगी ने ऐतिहासिक तथ्य साझा करते हुए बताया कि थारू जनजाति के लोग अंग्रेजों द्वारा तराई के जंगलों में बसाए गए। उन्हें कहा गया था कि जंगल में रहो, कोई वेतन नहीं मिलेगा। वे झोपड़ियों में रहे, शोषण सहा। जब आजादी मिली तब भी सरकारों ने आंखें मूंदी रखीं।

अब सबके पास बिजली, मकान, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं
सीएम ने बताया कि इन लोगों ने मतदान करना शुरू किया। 2022 और 2024 के चुनाव में भी हजारों लोग पहली बार वोटर बने। अब हर गांव में सड़क है, हर घर में बिजली है, सभी को मकान मिले हैं। आंगनबाड़ी केंद्र खुले हैं, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र बन रहे हैं। राशन, आयुष्मान योजना, पेंशन समेत हर सुविधा इन तक पहुंच चुकी है।

सेवा न्यास और महंत अवैद्यनाथ जी को बताया प्रेरणा स्रोत
सीएम योगी ने कहा, हमें आभार प्रकट करना चाहिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का, नानाजी देशमुख जी और अपने पूज्य गुरुदेव महंत अवैद्यनाथ का। उन्होंने बच्चों के लिए छात्रावास और स्कूल की व्यवस्था कराई। उन्होंने कहा, नेपाल में माओवादी और मधेशियों के बीच भीषण संघर्ष हुआ तो मैंने हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारी से हालात की जानकारी ली थी। तब समझ में आया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में संघ और उससे जुड़ी संस्थाएं कैसे काम कर रही हैं।

सेवा यात्रा से स्वास्थ्य जागरूकता में क्रांतिकारी बदलाव
सीएम ने बताया कि यह यात्रा कोरोना महामारी के दौरान भी जारी रही। इंसेफेलाइटिस, चर्म रोग, टीबी जैसी बीमारियों के लिए वहां लोगों को न दवा मिलती थी, न जानकारी। हमने डाटा जुटाया, रात-रात रुक कर स्वास्थ्य सेवाएं दीं, पौष्टिक आहार की व्यवस्था कराई। अब लोग बेहतर जीवन जी रहे हैं, उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।

कार्यकर्ताओं का सम्मान, भविष्य का संकल्प
समारोह के अंत में सीएम योगी ने यात्रा से जुड़े सभी स्वयंसेवकों, पदाधिकारियों और सेवा न्यास को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह यात्रा केवल स्वास्थ्य सेवा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और सामाजिक एकात्मता की यात्रा है। यह हमें जगतगुरु शंकराचार्य की याद दिलाती है। जब यात्राओं के माध्यम से जनजागरण का कार्य हुआ करता था। आज यह कार्य भारत-नेपाल सीमा पर हो रहा है। यह यात्रा चलती रहनी चाहिए और सबका अभिनंदन होना चाहिए।

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