ज्योतिषाचार्य पंडित लक्ष्मी कान्त मिश्रा से जानिए! मां भगवती की उत्पत्ति का रहस्य
March 29, 2025
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Jagrat Times, Pandit Laxmi kant Mishra/ मार्कंडेय पुराण के अनुशार माँ दुर्गा का प्रादुर्भाव , ब्रम्हा,शंकर,विष्णु,इंद्र व अनन्य देवता से निकले महा प्रकास पुंज के संयोजन से एक
Jagrat Times, Pandit Laxmi kant Mishra/ मार्कंडेय पुराण के अनुशार माँ दुर्गा का प्रादुर्भाव , ब्रम्हा,शंकर,विष्णु,इंद्र व अनन्य देवता से निकले महा प्रकास पुंज के संयोजन से एक नारी का रूप बना, जो माँ दुर्गा कहलायीं | माँ दुर्गा के नौ रूप हैं | जो क्रम से प्रथम दिन से नवम दिन तक अलग अलग स्वरुप में माँ का प्रादुर्भाव होता है | 1- शैलपुत्री , जिनका वाहन वृषभ यानि बैल है, इसमे माँ के दो भुजाएं हैं, | 2- ब्रम्ह्चारिणी इसमे माँ के दो भुजाएं हैं तथा कोई भी वहन नहीं है 3- चंद्रघंटा , जिनका वाहन सिंह है | माता के दश भुजाएं हैं 4- कुष्मांडा जिनका वाहन सिंह है | माता के आठ भुजाएं हैं 5- स्कंदमाता जिनका वाहन सिंह है | माता के चार भुजाएं हैं 6- कात्यानी जिनका वाहन सिंह है | माता के चार भुजाएं हैं 7- कालरात्रि जिनका वाहन गर्दभ (गदहा ) | माता के चार भुजाएं हैं, व तीन नेत्र हैं| 8- महागौरी जिनका वाहन वृषभ यानि बैल है, इसमे माँ के चार भुजाएं हैं, | 9- सिद्रिदात्री जिनका वाहन सिंह है | माता के चार भुजाएं हैं, आप कमल पर विराजमान होती हैं |
नवरात्री शाल में दो बार आती हैं, एक मार्च-अप्रैल में जिसे चैत्र नवरात्री कहते हैं, और सितम्बर-अक्टूबर माह में जिसे शरद नवरात्री कहते हैं | माँ दुर्गा का वाहन सिंह यानि शेर है लेकिन जब माता रानी पृथ्वीलोक पर आती हैं तब उनका वाहन बदल जाता है। तो आइए जानते हैं कि देवी दुर्गा के वाहन का कैसे पता चलता है और उनका क्या संकेत होता है। देवि के आने का वाहन इस बात पर निर्भर करता है की प्रतिपदा ( उदिया) तिथि किस वार यानि दिन में पड़ रही है | 1- रविवार और सोमवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं | हाथी पर सवार होकर आना बहुत शुभ माना जाता है | 2- शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा होता है | घोड़े पर आना भी शुभ संकेत माना जाता है | 3- बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं | नाव पर आना भी बहुत शुभ होता है. 4 गुरुवार और शुक्रवार के दिन अगर नवरात्र शुरू हो रहे हैं, तो मां डोली पर सवार होकर आती है | पालकी पर आना शुभ संकेत नहीं माना जाता चैत्र नवरात्रि 2025, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04.27 बजे से लेकर 30 मार्च को दोपहर 12.49 बजे तक रहने वाली है. उदिया तिथि के चलते, चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च को होगी और इसका समापन 6 अप्रैल को होगा | इस साल मैय्या रानी के नवरात्र रविवार से शुरू हो रहे हैं, इसलिए माता हाथी पर सवार होकर आएंगी. शास्त्रों में देवी की हाथी की पालकी को बहुत शुभ माना गया है | पंचमी तिथि के क्षय होने के कारण आठ दिनों की नवरात्र होगी। दो अप्रैल दिन बुधवार को चौथी और पंचमी की पूजा होगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा और सुबह 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
मां दुर्गा को बुलाने के लिए ये मंत्र जापे जा सकते हैं: 1- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। 2- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 3- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 4- नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप करें. कलश स्थापित करते समय ध्यान देने योग्य बातें – 1- ईशान कोण को देवी-देवताओं का स्थान माना जाता है. अतः कलश की स्थापना ईशान कोण में करें या उत्तर दिसा में करें | 2- कलश को मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के दायीं तरफ स्थापित करना चाहिए. 3- अखंड ज्योत को दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्नि कोण) में रखना शुभ माना जाता है. 4- कलश में पवित्र जल, सिक्के, लौंग, इलायची, सुपारी, हल्दी, चावल और अन्य सामग्री डालें. कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और मौली लपेटें. आम के 5 पत्ते लगाएं और नारियल रखें यह नारियल पानी भरा वाला होना चाहिए मान्यता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और धन की तंगी नहीं होती | मिट्टी के पात्र में जौ बोएं. नवरात्रि में कलश के नीचे चावल या जौ रखा जाता है | नोट्स- माता की पूजा में भूलकर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाना चाहिए. ये माता की पूजा में वर्जित मानी जाती है.