महिला सशक्तिकरण हो चुका है अब सशक्त महिला के साथ रहना सीखे समाज : डॉ.रोशनी टाक
- March 28, 2025
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Jagrat Times, Kanpur/ पुरानी कहावत है कि कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है। और यह बात महिलाओं के प्रति सामाजिक सोच में पूरी तरह से लागू
Jagrat Times, Kanpur/ पुरानी कहावत है कि कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है। और यह बात महिलाओं के प्रति सामाजिक सोच में पूरी तरह से लागू होती है। इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए सुप्रसिद्ध एंकर, एक्ट्रेस, और वैदिक ज्योतिषाचार्य डॉ.रोशनी टाक ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की बातें तो अक्सर हर जगह-जगह होती रहती है। इसमें कोई शक नहीं है कि आज की नारी पूरी तरह से सशक्त हो चुकी है ।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि सशक्त महिलाओं की क्षमता और टैलेंट को स्वीकार करते हुए अच्छा व्यवहार नही दिखाई देता। सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को महिला नहीं बल्कि समय में तुरंत हुकुम का पालन करने वाली पत्नी और गृहिणी चाहिए। ससुराल में हर किसी को आदेश पालक बहू चाहिए। यहां तक कि पतियों को भी ऑलराउंडर पत्नी चाहिए। यह व्यंग्य ही है कि चांद पर भी जाना है तो चली जाओ लेकिन सुबह का खाना बनाकर जाना और शाम के खाने से पहले वापस आ जाना जिस से शाम का खाना भी समय पर मिल सके।
कभी आपने सुना है कि किसी पुरुष ने अपनी पत्नी के लिए दिनचर्या के मुताबिक सेवा करते हुए खाना बना दिया। मेरे विचार से बर्तन मांजना, पूरे घर में झाड़ू और पोछा लगाकर सफाई करने के साथ भी खाना बनाना एक बुनियादी कौशल है ना कि लिंग विशिष्टता। लेकिन लोग इस बात को आज भी समझने में असमर्थ है ! स्टेज के ऊपर तो बड़ी-बड़ी बाते करने वाले लोग भी अक्सर असल जिंदगी में अपने विचारों से बंधे पड़े पाए जाते है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो स्त्री बस में ना आए, जिसका मुकाबला ना किया जा सके उसके चरित्र पर उंगली उठाना सबसे आसान लक्ष्य है । स्त्री की उपलब्धि को स्वीकार न करके उसमें कमियां निकालना । मैं तो इस नवरात्रि पर मां दुर्गा से यही प्रार्थना करती हूं और लोगों को माँ सद्बुद्धि दे कि कोई तथाकथित समाज को बुनियादी सलीखा सिखा दे और सशक्त स्त्री को स्वीकार करना सिखा दे।