नाम का एलान होते ही होली का माहौल, खोजे गये अनिल दीक्षित
- March 16, 2025
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-जिला चुनाव अधिकारियों के वाट्स पर आयी सूची-नाम घोषणा होते ही दीपू पांडेय समर्थकों के साथ वापस-उत्तर के नये जिलाध्यक्ष देर से पहुंचे कार्यालय-सूचना के लिए वरिष्ठ पदाधिकारी
-जिला चुनाव अधिकारियों के वाट्स पर आयी सूची
-नाम घोषणा होते ही दीपू पांडेय समर्थकों के साथ वापस
-उत्तर के नये जिलाध्यक्ष देर से पहुंचे कार्यालय
-सूचना के लिए वरिष्ठ पदाधिकारी ने लगाया फोन
Jagrat Times, कानपुर। रविवार हो दोपहर तीन बजे के बाद भाजपा कार्यालय में बैठक के दौरान चुनाव अधिकारियों के वाॅट्स पर नये जिलाध्यक्षों की सूची आते ही अटकलों का बाजार थम गया। प्रदेश कार्यालय से आयी सूची में संगठन ने एकबार फिर दक्षिण जिलाध्यक्ष शिवराम सिंह पर विश्वास दिखाया। जबकि, उत्तर जिलाध्यक्ष दीपू पांडेय का कार्यकाल पर पूर्ण विराम लगाते हुए अनिल दीक्षित को पदाधिकारी बनाया। ग्र्रामीण जिलाध्यक्ष की भी छुट्टी करते हुए उपेन्द्र पासवान को दायित्व दिया गया।
नाम का एलान होते ही नारेबाजी
चुनाव अधिकारियों ने जैसे ही नये पदाधिकारियों के नाम की घोषणा की पूरा सभागार नारों से गूंजने लगा। नाम घोषणा के दौरान दीपू पांडेय मंचासीन थे। एलान होते ही पांडेय सभी पदाधिकारियों से मिलते हुए समर्थकों के साथ कार्यालय से बाहर आ गये। जबकि, नये जिलाध्यक्ष अनिल दीक्षित सभागार में मौजूद ही नहीं थे। नाम का एलान होते ही मंच से उन्हें बुलाया जाने लगा। लेकिन वे सभागार में नहीं थे। तत्काल नेताओं ने फोन लगाकर उन्हें सूचना दी। कुछ ही देर में वे कार्यालय पहंुचे। समर्थकों ने उन्हें फूल मालाओं से लादकर उनका स्वागत किया।
कम उम्र के जिलाध्यक्ष बने उपेन्द्र पासवान
ग्रामीण से नये जिलाध्यक्ष का दायित्व उपेन्द्र पासवान को बनाया गया। पासवान नये उम्र के जिलाध्यक्ष हैं। उन्होंने घाटमपुर विधानसभा विधायकी में जीत दर्ज कराकर भाजपा का परचम लहराया था। पासवान को ग्रामीण का दायित्व देकर संगठन ने आगे तक रास्ता पक्का किया है।
कार्यालय में उड़ने लगा गुलाल
नाम एलान होते ही समर्थक उत्साहित होकर नारेबाजी के साथ एक दूसरे को गुलाल लगाकर खुशी जाहिर करने लगे। दोबारा दायित्व पाने वाले शिवराम सिंह की आंखे भर आयी। समर्थकों ने सभी जिलाध्यक्षों का माला पहनाकर स्वागत किया। देखते ही देखते भाजपा कार्यालय में होली का माहौल बन गया। इस दौरान सभागार में दायित्व पाने वाले नेताओं के समर्थक खुश थे। वहीं, दायित्व विहीन हुए नेताओं के समर्थक उदास दिखे।