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ज्योतिषाचार्य पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए, आपकी कुंडली के 12 भाव और उनका फल

  • March 6, 2025
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-आपके जीवन में कुंडली का महत्वपूर्ण रोल City Desk, kNPUR / प्रथम भाव (लग्न भाव) – आत्मा, व्यक्तित्व और स्वास्थ्य यह व्यक्ति के स्वभाव, शारीरिक बनावट, आत्मविश्वास, सोचने

ज्योतिषाचार्य पंडित चन्द्रकान्त शुक्ला से जानिए, आपकी कुंडली के 12 भाव और उनका फल


-आपके जीवन में कुंडली का महत्वपूर्ण रोल

City Desk, kNPUR /

प्रथम भाव (लग्न भाव) – आत्मा, व्यक्तित्व और स्वास्थ्य

यह व्यक्ति के स्वभाव, शारीरिक बनावट, आत्मविश्वास, सोचने की क्षमता और स्वास्थ्य को दर्शाता है।

यदि प्रथम भाव मजबूत हो तो व्यक्ति आत्मनिर्भर, प्रभावशाली और स्वस्थ होता है।

कमजोर होने पर व्यक्ति आत्म-संदेह से घिरा रहता है और स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है।

  1. द्वितीय भाव – धन, वाणी और परिवार

यह भाव व्यक्ति के धन, बचत, बोलने की शैली, पारिवारिक जीवन और खान-पान से जुड़ा होता है।

शुभ ग्रह होने पर व्यक्ति धनवान, मधुरभाषी और पारिवारिक सुखी होता है।

अशुभ ग्रह होने पर धन हानि, कड़वी वाणी और पारिवारिक कलह हो सकती है।

  1. तृतीय भाव – पराक्रम, भाई-बहन और साहस

यह भाव परिश्रम, हिम्मत, भाई-बहनों, छोटी यात्राओं और संचार कौशल से संबंधित होता है।

शुभ ग्रह होने पर व्यक्ति साहसी, मेहनती और अच्छा संचार कौशल रखने वाला होता है।

अशुभ होने पर आलस्य, संघर्ष और भाई-बहनों से मतभेद हो सकते हैं।

  1. चतुर्थ भाव – माता, सुख और संपत्ति

यह भाव माता, घर, वाहन, जायदाद, शिक्षा और मानसिक शांति से संबंधित होता है।

शुभ ग्रह होने पर व्यक्ति को माता का सहयोग, अच्छी संपत्ति और मानसिक शांति मिलती है।

अशुभ होने पर घर-परिवार में अशांति, माता से दूरी और संपत्ति संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।

  1. पंचम भाव – विद्या, संतान और बुद्धि

यह भाव शिक्षा, संतान, सृजनशीलता, प्रेम संबंध, निवेश और बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करता है।

शुभ होने पर व्यक्ति बुद्धिमान, रचनात्मक और संतान से सुखी होता है।

अशुभ ग्रह होने पर पढ़ाई में बाधा, संतान से कष्ट और प्रेम संबंधों में विफलता हो सकती है।

  1. षष्ठम भाव – रोग, शत्रु और ऋण

यह भाव रोग, शत्रु, प्रतिस्पर्धा, मुकदमेबाजी और ऋण से संबंधित होता है।

शुभ ग्रह होने पर व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और रोगों से मुक्त रहता है।

अशुभ ग्रह होने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याएँ, कर्ज और कानूनी परेशानियाँ हो सकती हैं।

  1. सप्तम भाव – विवाह और साझेदारी

यह भाव विवाह, जीवनसाथी, व्यापारिक साझेदारी और सार्वजनिक जीवन से संबंधित होता है।

शुभ ग्रह होने पर सुखद वैवाहिक जीवन और सफल व्यवसायिक साझेदारी होती है।

अशुभ ग्रह होने पर वैवाहिक जीवन में तनाव, तलाक और व्यापार में हानि हो सकती है।

  1. अष्टम भाव – आयु, गुप्त ज्ञान और आकस्मिक घटनाएँ

यह भाव जीवन की गहराई, रहस्य, दुर्घटनाएँ, अनुसंधान, आध्यात्मिकता और अचानक होने वाली घटनाओं का प्रतीक होता है।

शुभ ग्रह होने पर व्यक्ति आध्यात्मिक, शोधकर्ता और गहरी समझ वाला होता है।

अशुभ ग्रह होने पर दुर्घटनाएँ, मानसिक तनाव और जीवन में संघर्ष हो सकता है।

  1. नवम भाव – भाग्य, धर्म और यात्रा

यह भाव धर्म, उच्च शिक्षा, लंबी यात्राएँ, आध्यात्मिकता, गुरुओं और पिता से संबंधित होता है।

शुभ ग्रह होने पर भाग्यशाली जीवन, उच्च शिक्षा और धार्मिक झुकाव होता है।

अशुभ ग्रह होने पर भाग्य कमजोर, शिक्षा में बाधा और धार्मिक आस्था में कमी हो सकती है।

  1. दशम भाव – कर्म, करियर और समाज में प्रतिष्ठा

यह भाव नौकरी, व्यवसाय, पिता, सामाजिक स्थिति और कर्तव्य को दर्शाता है।

शुभ ग्रह होने पर व्यक्ति सफल करियर, अच्छी प्रतिष्ठा और मजबूत नेतृत्व क्षमता रखता है।

अशुभ ग्रह होने पर करियर में अस्थिरता, समाज में मानहानि और कार्यस्थल पर संघर्ष होता है।

  1. एकादश भाव – लाभ, इच्छाएँ और मित्रता

यह भाव आमदनी, लाभ, इच्छाओं की पूर्ति और दोस्तों से संबंधित होता है।

शुभ ग्रह होने पर व्यक्ति को आर्थिक लाभ, अच्छे मित्र और इच्छाओं की पूर्ति होती है।

अशुभ ग्रह होने पर आर्थिक नुकसान, इच्छाओं में रुकावट और मित्रों से धोखा मिल सकता है।

  1. द्वादश भाव – हानि, मोक्ष और विदेश यात्रा

यह भाव खर्च, हानि, विदेश यात्रा, आध्यात्मिकता और आत्म-त्याग से संबंधित होता है।

शुभ ग्रह होने पर व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति, विदेश में सफलता और त्यागी स्वभाव वाला होता है।

अशुभ ग्रह होने पर अनियंत्रित खर्च, मानसिक तनाव और अकेलापन हो सकता है।

यह सभी भाव मिलकर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार इन भावों का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है।

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