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पंडित चन्द्र कान्त शुक्ल से जानिए, कब से चैत्र नवरात्र किस मुहुर्त में करे कलश स्थापना

  • March 2, 2025
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-30 मार्च से नवरात्र की शुरूआत-शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से होता है शुभारंभ-कलश स्थापना सुबह 6 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ-10 बजकर 22 मिनट तक – अभिजीत

पंडित चन्द्र कान्त शुक्ल से जानिए, कब से चैत्र नवरात्र किस मुहुर्त में करे कलश स्थापना


-30 मार्च से नवरात्र की शुरूआत
-शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से होता है शुभारंभ
-कलश स्थापना सुबह 6 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ
-10 बजकर 22 मिनट तक
अभिजीत मुहुर्त 12 बजकर एक मिनट से 12 पचास तक


सिटी डेस्क, कानपुर। पंडित चन्द्र कान्त शुक्ल ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। त्योहार की शुरूआत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की नवमी से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होते है। पूरे नौ दिनों तक जगत जननी की नौ रूपों में कलश स्थापना के साथ पूजा होती है। भक्त नौ दिनों तक कठिन व्रत करते है। मां प्रसन्न होकर भक्तों की समस्त मनोकामना पूरी करती है।
कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त-
पंडित चन्द्रकांत शुक्ल के अनुसार, तीस मार्च की घटस्थापना प्रताः काल 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस मुहुर्त में भक्त मां के चरणों में कलश स्थापना कर सकते है। अगर पूजा का विधि-विधान थोड़ा विलंबित है तो दूसरा अभिजीत मुहुर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। उपरोक्त दो समय कलश स्थापना के लिए शुभ है।
घटस्थापना का शुभ योग-
श्री शुक्ल ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की तिथि पर सर्वाथ सिद्धि योग और इंद्रयोग रहेगा। इस योेग में मां जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा की जायेगी। इस योग में पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। घर में जैसे ही मां का प्रवेश होता है सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
भक्त नौ दिनों तक रखे व्रत-
नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्याताओ के अनुसार, 9 दिनों तक व्रत रखने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती है। व्रतधारियों पर मां की विशेष कृपा होती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों की मां दुर्गा सभी परेशानी हर लेती है। उनके जीवन में खुशी की बयार बहने लगती है।
व्रतधारी और परिवार नियमों का करे पालन
ज्योतिषाचार्य पंडित चन्द्र कान्त शुक्ल ने बताया कि कलश स्थापना करने वाले भक्तों को घर में पूजा-पाठ के दौरान कुछ विशेष बातांे का ध्यान रखना चाहिए। परिवार के सभी लोगों का सात्विक रहना चाहिए। तामसी भोजन और मांस मदिरा से दूर रहना चाहिए। ब्रतधारी को हमेशा अपना मन मां के चरणों में लगाना चाहिए।

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