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पोलियो को नियंत्रित करने में माइक्रोबायोलॉजी की भूमिका अहम

  • February 27, 2025
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–माइक्रोबायोलॉजी में हुए बहुत ही महत्वपूर्ण शोध से मेडिकल जगत में आई क्रांति –जनहित में हुए शोध से ही रोग के कारणों का तेजी से सही पता लगाना

पोलियो को नियंत्रित करने में माइक्रोबायोलॉजी की भूमिका अहम

माइक्रोबायोलॉजी में हुए बहुत ही महत्वपूर्ण शोध से मेडिकल जगत में आई क्रांति

जनहित में हुए शोध से ही रोग के कारणों का तेजी से सही पता लगाना हो पाया संभव

ABHISEK MISHRA/ माइक्रोबायोलॉजी हमारे जीवन बहुत ही उपयोगी है। मेडिकल से लेकर पर्यावरण व प्रौद्योगिकी तक इसका महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। इस विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपिका शुक्ला ने बताया कि माइक्रोबायोलॉजी के माध्यम से बैक्टीरिया, वायरस, आर्किया, कवक और प्रोटोजोआ सहित सभी सूक्ष्म जीव रूपों का अध्ययन किया जाता है।इसके अंतर्गत मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी, पर्यावरण माइक्रोबायोलॉजी, औद्योगिक माइक्रोबायोलॉजी और कृषि माइक्रोबायोलॉजी शामिल हैं। 17वीं शताब्दी के अंत में एंटोनी वान ल्यूवेनहॉक ने माइक्रोस्कोप का आविष्कार किया था। उन्होंने पहली बार सूक्ष्मजीवों का अध्ययन कर मेडिकल जगत में क्रांति ला दी थी। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए लुई पाश्चर ने रोग का रोगाणु सिद्धांत और रॉबर्ट कोच ने तपेदिक के साथ ही हैजा के प्रेरक एजेंटों की पहचान कर दुनिया को हतप्रद कर दिया था।
माइक्रोबायोलॉजी की बदौलत ही सूक्ष्मजीवी घटकों या कमजोर रोगजनकों का उपयोग करके विकसित टीके संक्रामक रोगों को रोकने में सहायक रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरे देश में टीकाकरण अभियान के चलते ही चेचक से लोगों को निजात मिली है। इसके अलावा पोलियो, खसरा और काली खांसी जैसी गंभीर बीमारियों में भी पूरे देश में कमी आई है। वर्तमान समय में चल रहे शोध उभरते संक्रामक रोगों के लिए टीके के विकास को आगे बढ़ा रहे हैं। कुल मिलाकर माइक्रोबायोलॉजी के कारण ही मानव जीवन में बहुत बदलाव आया है। इनमें किए गए शोध के माध्यम से ही रोग के कारणों तेजी से सही पता लगाना संभव हो पाया है। पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर), एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एसे (एलिसा) और नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग (एनजीएस) जैसी तकनीकों द्वारा संक्रमणों का पता चलने से मेडिकल क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे इलाज और संबंधित रोगों के प्रकोप को नियंत्रण करना संभव हो पाया है। प्रोबायोटिक्स और फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन सहित माइक्रोबियल थेरेपी विभिन्न स्थितियों के लिए अभिनव उपचार के रूप में उभर रही हैं। प्रोबायोटिक्स, लाभकारी बैक्टीरिया, आंत के स्वास्थ्य को बहाल कर सकते हैं और प्रतिरक्षा को बढ़ा सकते हैं।
कुल मिलाकर पृथ्वी पर जीवन के लिए सूक्ष्मजीव बहुत महत्वपूर्ण हैं। वे पोषक तत्वों के चक्रण, कार्बनिक पदार्थों के विघटन और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके बिना जीवन टिकाऊ नहीं हो सकता। मानव माइक्रोबायोम के अंतर्गत उन सूक्ष्मजीवों के विषय में जाना जाता है जो भोजन को पचाने, विटामिन को संश्लेषित करने और रोगजनकों से बचाने में मदद करते हैं। एक संतुलित माइक्रोबायोम समग्र कल्याण से जुड़ा हुआ है, जबकि डिस्बिओसिस, या माइक्रोबियल असंतुलन, विभिन्न बीमारियों से जुड़ा हुआ है।

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